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लक्ष्य

• हिंदी शोध-पत्रिका का प्रकाशन।

• देश-विदेश में सृजित शिक्षाप्रद रचनाओं को एकत्र कर संकलन तैयार करना, छमाही हिंदी पत्रिका में प्रकाशित करवाना एवं रचनाकारों को प्रेरित, प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत करना।

• हिंदी कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।

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उद्देश्य

• विश्व स्तर पर हिंदी को प्रतिष्ठित एवं विकसित करने के लिए कवि-गोष्ठियों का आयोजन एवं सम्मेलन करना तथा जापानी, रूसी, अंग्रेजी और चीनी भाषा को हिंदी से जोड़ते हुए शब्द कोश का निर्माण एवं प्रकाशन |

• हिंदी भाषा वह साहित्य के विकास हेतु वेबसाइट का निर्माण कराना |

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संस्थापक के बारे में

हिंदी जगत में डॉ. पीयूष कुमार शर्मा की पहचान एक भाषा विशेषज्ञ के रूप में होती है। हिंदी भाषा के प्रति इनकी बचपन से ही रूचि थी। इन्होंने प्राथमिक कक्षाओं से लेकर उच्च कक्षाओं तक हिंदी विषय का गहन अध्ययन किया और हिंदी विषय को अपना व्यवसाय बनाते हुए इसका आरंभ महाविद्यालय में हिंदी अध्यापन

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भेंट या दान हॆतु

जब तक हम स्वयं पहल करते हुए हिंदी के विकास के लिए प्रयास या सहयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी को प्रतिष्ठित करने का सपना साकार करना कठिन है | यदि आप अपने आर्थिक लाभ का तनिक अंश भी "हिंदी विकास संस्थान" को भेंट या दान करते हैं, तो वह हिंदी भाषा के प्रति सच्चा सम्मान होगा | कृपया, हिंदी के विकास हेतु "हिंदी विकास संस्थान" को आर्थिक सहयोग या दान देकर हिंदी भाषा के प्रति अपनी सच्ची भावना प्रकट करें |..

हिंदी विकास संस्थान के बारे में

हिंदी भाषा को भारतीय सविंधान में राजभाषा का दर्जा दिया गया है। १४ सितम्बर, १९४९ से आज तक राजभाषा के रूप में हिंदी का जितना विकास हो पाया है , वह अपेक्षा से बहुत कम है। इतना ही नहीं , भारत वर्ष में हिंदी जैसी प्रतिष्ठित और वैज्ञानिक भाषा की उपेक्षा करके अन्य भाषाओं को प्राधमिकता देना सामीचीन नहीं है। अतः हिंदी विषय , साहित्य और भाषा को रुचिकर बनाने , अन्य बोलियो , क्षेत्रीयों भाषाओं एवं अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं से इसे जोड़ने और विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिए हिंदी विकास संस्थान की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से हिंदी भाषा का विकास तो होगा ही, साथ-ही-साथ इसे राज्य भाषा एवं राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित होते हुए भी देखा जा सकेगा।

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